इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक करेंगे चुरू और लद्दाख में पानी के स्रोतों की खोज

 


इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक करेंगे चुरू और लद्दाख में पानी के स्रोतों की खोज

मरुस्थलीय क्षेत्रों में जल संकट समाधान की दिशा में पहल

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के वैज्ञानिकों ने राजस्थान के चुरू और लद्दाख में जल संसाधनों की खोज और प्रबंधन पर शोध कार्य शुरू कर दिया है। इस परियोजना के तहत दोनों स्थानों में जल स्रोतों की पहचान करने के लिए नवीनतम तकनीकों और विधियों का उपयोग किया जाएगा। यह शोध न केवल पानी की कमी की समस्या को हल करने में मदद करेगा, बल्कि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार भी लाएगा।

आईसीएसएसआर के सहयोग से जल जीवन मिशन अनुसंधान

इस परियोजना को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) के जल जीवन मिशन अनुसंधान के तहत इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार शर्मा को प्रदान किया गया है। डॉ. शर्मा और उनकी टीम चुरू और लद्दाख में पानी की खोज और स्थायी जल प्रबंधन पर अध्ययन करेंगे।

डॉ. शर्मा ने बताया कि चुरू जिले और लद्दाख में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के परिणामों का तुलनात्मक विश्लेषण किया जाएगा। इसके बाद जल संकट से जुड़ी चुनौतियों का मूल्यांकन कर, इन क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्धता सुनिश्चित करने की रणनीति बनाई जाएगी।

विज्ञान और तकनीक से पानी की खोज

वैज्ञानिक इस परियोजना में जल स्रोतों की पहचान के लिए भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, उपग्रह चित्रण, भूजल पुनर्भरण तकनीकों और हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करेंगे। मरुस्थलीय क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण उपायों पर भी कार्य किया जाएगा।

जल प्रबंधन में नीति निर्माताओं को मिलेगा सहयोग

डॉ. शर्मा ने बताया कि इस परियोजना से मिलने वाले शोध परिणामों को नीति निर्माताओं के साथ साझा किया जाएगा, जिससे देश के अन्य जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में भी जल प्रबंधन और वितरण प्रणाली को बेहतर बनाया जा सके। अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर सरकार को सटीक और व्यावहारिक समाधान सुझाए जाएंगे, जिससे देश के जल संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा।

स्थानीय समुदायों को होगा लाभ

यह शोध परियोजना स्थानीय समुदायों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगी। वैज्ञानिक जल संरक्षण और प्रबंधन के पारंपरिक एवं आधुनिक तरीकों का अध्ययन कर स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करेंगे, जिससे वे जल संसाधनों का कुशलता से उपयोग कर सकें। इससे चुरू और लद्दाख में जल संकट को कम करने में मदद मिलेगी और भविष्य में इन क्षेत्रों को जल संकट से मुक्त करने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।

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