भारत की नदियाँ: इतिहास, संस्कृति और संरक्षण पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 27-28 मार्च को होगा आयोजन
प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, 27-28 मार्च 2025 को "भारत की नदियाँ: इतिहास, संस्कृति, संरक्षण की चुनौतियाँ और समाधान" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है। इस संगोष्ठी का उद्घाटन प्रो. ईश्वर टोपा ऑडिटोरियम में होगा।
संगोष्ठी को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन
संगोष्ठी की रूपरेखा और उद्देश्यों की जानकारी देने के लिए 24 मार्च 2025 को बी.एन.एस. यादव सभागार, प्राचीन इतिहास विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इस अवसर पर संगोष्ठी के संयोजक प्रो. हर्ष कुमार (विभागाध्यक्ष, प्राचीन इतिहास विभाग), आयोजन सचिव डॉ. अतुल नारायण सिंह (सहायक आचार्य, प्राचीन इतिहास विभाग), सह-संयोजक इंजीनियर आलोक परमार (शंख सोसाइटी) सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
नदियाँ केवल जल स्रोत नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता की धरोहर – प्रो. हर्ष कुमार
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए संगोष्ठी के संयोजक प्रो. हर्ष कुमार ने कहा कि भारतीय नदियाँ केवल जलस्रोत नहीं हैं, बल्कि वे हमारी सभ्यता, संस्कृति और अर्थव्यवस्था की आधारशिला हैं। वर्तमान समय में नदियाँ बढ़ते प्रदूषण, अतिक्रमण और जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही हैं। इन समस्याओं के समाधान और नदियों के संरक्षण के प्रति समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से इस संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस मंच के माध्यम से ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, वैज्ञानिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से नदियों की भूमिका पर गहन चर्चा होगी और उनके संरक्षण के लिए ठोस समाधान प्रस्तुत किए जाएंगे।
स्टेट मिशन फॉर क्लीन गंगा-उत्तर प्रदेश और SHANKH.ORG का सहयोग
आयोजन सचिव डॉ. अतुल नारायण सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि यह संगोष्ठी स्टेट मिशन फॉर क्लीन गंगा-उत्तर प्रदेश (SMCG-UP) और SHANKH.ORG के सहयोग से आयोजित की जा रही है, जो जल संरक्षण और नदियों के पुनर्जीवन के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं।
इस संगोष्ठी में देशभर के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ, पर्यावरणविद, प्रशासक और शिक्षाविद भाग लेंगे, जो गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी जैसी प्रमुख नदियों के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व पर विचार साझा करेंगे।
संगोष्ठी के प्रमुख वक्ता और गणमान्य अतिथि
संगोष्ठी में बीज वक्ता पद्मभूषण एवं पद्मश्री से सम्मानित पर्यावरणविद् डॉ. अनिल प्रकाश जोशी होंगे, जो जल एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं।
इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व संगोष्ठी को संबोधित करेंगे, जिनमें शामिल हैं:
- डॉ. बालमुकुंद पांडे (राष्ट्रीय संगठन सचिव, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना)
- प्रो. प्रभाशंकर शुक्ल (कुलपति, नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी)
- प्रो. अमिताभ पांडे (निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय)
- श्री आलोक कुमार पांडे (गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी)
- श्री गणेश तनजीराव थोराट (सीईओ, नाम फाउंडेशन)
- श्री रमन कान्त (अध्यक्ष, भारतीय नदी परिषद)
- प्रो. विनोद तारे (आईआईटी कानपुर)
- प्रो. प्रभात कुमार सिंह (आईआईटी बीएचयू)
- प्रो. ध्रुव सेन सिंह (लखनऊ विश्वविद्यालय)
- श्री मनोज जोशी (नर्मदा संरक्षण कार्यकर्ता)
पाँच प्रमुख सत्रों में होगी विस्तृत चर्चा
संगोष्ठी में कुल पाँच प्रमुख सत्र होंगे, जिनमें निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की जाएगी:
- नदियों की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक भूमिका
- नदियों का आध्यात्मिक एवं धार्मिक महत्व
- सामुदायिक सहभागिता एवं जमीनी आंदोलन
- पर्यावरणीय चुनौतियाँ एवं तकनीकी नवाचार
- नीतिगत ढाँचा एवं प्रशासनिक उपाय
इसके अतिरिक्त, शोधार्थियों के लिए विशेष तकनीकी सत्र भी होंगे, जिनमें वे अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे।
28 मार्च को समापन, नीतिगत अनुशंसाओं का होगा मसौदा
संगोष्ठी का समापन 28 मार्च 2025 को होगा, जिसमें प्रमुख वक्ताओं द्वारा नदी संरक्षण एवं पुनर्जीवन पर विचार साझा किए जाएंगे। इस अवसर पर श्री अनुराग श्रीवास्तव (मुख्य सचिव, नमामि गंगे एवं ग्रामीण जल संसाधन), श्री राजशेखर (परियोजना निदेशक, SMCG-UP) और श्री प्रभास (अतिरिक्त परियोजना निदेशक, SMCG-UP) संगोष्ठी को संबोधित करेंगे।
समापन सत्र में "संकल्प पत्र" जारी किया जाएगा, जिसमें नदियों के संरक्षण हेतु नीतिगत अनुशंसाएँ और ठोस कार्ययोजनाओं का प्रारूप प्रस्तुत किया जाएगा।
मीडिया से सक्रिय भागीदारी का अनुरोध
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से आए पत्रकारों का स्वागत करते हुए आयोजकों ने उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने अनुरोध किया कि पत्रकार संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों को कवर करें और भारतीय नदियों के संरक्षण हेतु जन-जागरूकता बढ़ाने में सहयोग दें।
संगोष्ठी से निकलेंगे ठोस नीतिगत सुझाव
आयोजकों ने आशा व्यक्त की कि इस संगोष्ठी के माध्यम से नदी संरक्षण से जुड़े ठोस नीतिगत सुझाव सामने आएंगे और इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए जा सकेंगे।
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