संस्कृत पालि प्राकृत एवं प्राच्यभाषा विभाग में “वक्रोक्ति: काव्यजीवितम्” विषय पर व्याख्यान
प्रयागराज. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत पालि प्राकृत एवं प्राच्यभाषा विभाग में ऋषि व्याख्यान माला के अंतर्गत ब्रहस्पतिवार को विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. तेज प्रकाश चतुर्वेदी रहे। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों के द्वारा देवी सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन किया गया ।
मुख्य वक्ता डॉ तेज प्रकाश चतुर्वेदी ने “वक्रोक्ति: काव्यजीवितम्” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने काव्य के प्राणभूत तत्त्व का निरूपण करते हुए आचार्य कुन्तक को वक्रोक्ति सम्प्रदाय के स्थापक आचार्य स्वीकार किया। यहां वक्र पद का अर्थ है “वैदग्धभङ्गीभणिति:” । और यहीं सर्वप्रथम वक्रोक्ति को अलङ्कार मानकर वक्रोक्ति सम्प्रदाय की स्थापना की गई। शब्द और अर्थ दोनों में समान रूप से रहने वाली वक्रोक्ति एक अलङ्कार ही नहीं अपितु सम्पूर्ण काव्य में सहृदयों को आनन्द प्रदान करता है। जब किसी प्रकरण की वक्रता के कारण सम्पूर्ण काव्य आनन्द -प्रद हो जाय, तो उसे प्रकरण वक्रोक्ति कहते हैं। इस सम्प्रदाय में वक्रोक्ति को काव्य की आत्मा माना जाता है, जो कि कठिन कार्य है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में विभागाध्यक्ष प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र ने कहा कि आज का व्याख्यान बहुत ही उत्तम रहा। वक्रोक्ति के षड्विध भेदों पर चर्चा करते हुए कहा कि काव्य में पग पग पर वक्रोक्ति की विक्षिप्ति दृष्टिगोचर होती है। यह व्याख्यान सभी विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है। ऐसे व्याख्यानों से हमारे विश्वविद्यालय व विभाग की कीर्ति चतुर्दिक् प्रसृत होगी।कार्यक्रम के प्रारंभ में मंगलाचरण शोछच्छात्र सूर्य प्रकाश तिवारी तथा शोधच्छात्रा नेहा के द्वारा किया गया । धन्यवाद ज्ञापन शोधच्छात्र अमृत प्रकाश द्विवेदी, संस्कृत पालि प्राकृत एवं प्राच्य भाषा विभाग के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन शोधच्छात्र शुभम् पाण्डेय के द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. विनोद कुमार, डॉ. विकास शर्मा, डॉ ललित कुमार, डॉ सन्दीप यादव, डॉ आशीष कुमार त्रिपाठी, डॉ रजनी गोस्वामी, डॉ मीनाक्षी जोशी, डा. कल्पना कुमारी, डॉ. प्रचेतस् शास्त्री, डा सन्त प्रकाश तिवारी, डॉ अनिल कुमार, डॉ बालखड़े भूपेन्द्र अरुण, डॉ लेखराम दन्नाना उपस्थित रहे।
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