हिन्दी विभाग शताब्दी वर्ष में ‘दूध का दाम’ नाटक का भव्य मंचन
तिलक भवन में जीवंत हुए प्रेमचंद के पात्र
प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के शताब्दी वर्ष के अवसर पर शुक्रवार को तिलक भवन में प्रेमचंद की चर्चित कहानी 'दूध का दाम' पर आधारित नाटक का मंचन किया गया। बरगद कलामंच द्वारा प्रस्तुत इस नाटक ने प्रेमचंद की कालजयी रचना को सजीव कर दिया। समाज में व्याप्त कुरीतियों और शोषण की गूंज को दर्शकों ने महसूस किया और कलाकारों की प्रस्तुति ने भावनाओं को झकझोर दिया।
समाज की कुरीतियों पर करारा प्रहार
प्रेमचंद की कहानी 'दूध का दाम' समाज में व्याप्त अन्याय, गरीबी और शोषण को उजागर करती है। नाटक के माध्यम से यह दिखाया गया कि कैसे गरीब किसान अपने बच्चों के लिए दूध जुटाने के संघर्ष में आर्थिक विषमता से जूझते हैं। कलाकारों की जीवंत प्रस्तुति ने प्रेमचंद की संवेदनशीलता को मंच पर जीवंत कर दिया।
भावनाओं से भर उठा सभागार
नाटक के दौरान जैसे ही दृश्य आगे बढ़े, दर्शक कहानी में पूरी तरह डूब गए। कलाकारों ने अपने संवाद और अभिनय से माहौल को पूरी तरह वास्तविक बना दिया। दर्शकों की आँखें नम हो गईं और हर दृश्य पर भावनाओं की गहरी छाप देखने को मिली।
विद्वानों की रही उपस्थिति
इस अवसर पर प्रो. विजय बहादुर सिंह, प्रो. ज्वलंत शास्त्री, प्रो. संतोष भदौरिया, प्रो. शिव प्रसाद शुक्ल, प्रो. लालसा यादव, प्रो. योगेंद्र प्रताप सिंह सहित अनेक शिक्षाविद् और साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे। सभी ने नाटक की सराहना करते हुए इसे हिन्दी साहित्य के प्रचार-प्रसार का एक बेहतरीन प्रयास बताया।
हिन्दी विभाग के शताब्दी वर्ष का विशेष आयोजन
हिन्दी विभाग के शताब्दी वर्ष के क्रम में यह आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य हिन्दी साहित्य की महान कृतियों को मंच के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना है। इस अवसर पर वक्ताओं ने प्रेमचंद के साहित्य और उनकी सामाजिक चेतना पर भी अपने विचार व्यक्त किए।
संस्कृति और साहित्य का संगम
यह आयोजन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपरा को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। प्रेमचंद की इस कालजयी रचना का मंचन हिन्दी साहित्य में नाटक और रंगमंच के महत्व को रेखांकित करता है।
संवाद की गूंज और समाज को संदेश
इस नाटक के माध्यम से समाज को यह संदेश दिया गया कि आर्थिक विषमता और शोषण के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। प्रेमचंद की रचनाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को बदलने के लिए प्रेरित करती हैं।
इस प्रकार, हिन्दी विभाग के शताब्दी वर्ष में आयोजित यह नाटक, साहित्य और रंगमंच के संगम का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन गया।
दूध का दाम' का हुआ मंचन
प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के शताब्दी वर्ष के क्रम में शुक्रवार को तिलक भवन में प्रेमचंद की चर्चित कहानी 'दूध का दाम' नाटक का मंचन बरगद कलामंच ने किया। मंचन हुआ तो कहानी के पात्र मानो जीवित हो गए। समाज की जिन कुरीतियों को प्रेमचंद ने अपनी कहानी में लिखा उन्हीं कुरीतियों को मंच पर जीवंत किया गया। इस अवसर पर प्रो. विजय बहादुर सिंह, प्रो. ज्वलंत शास्त्री, प्रो. संतोष भदौरिया, प्रो. शिव प्रसाद शुक्ल, प्रो. लालसा यादव, प्रो. योगेंद्र प्रताप सिंह आदि मौजूद रहे।
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