
इलाहाबाद विश्वविद्यालय : विभागाध्यक्ष के समर्थन में उतरे छात्र, चीफ प्राॅक्टर को सौंपा ज्ञापन
विभागाध्यक्ष के समर्थन में आए छात्र
इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के अंग्रेजी विभाग में मंगलवार को हुई अप्रिय घटना के बाद छात्रों में आक्रोश देखने को मिला। विभागाध्यक्ष प्रो. सुशील कुमार शर्मा और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कुमार पराग के बीच बंद कमरे में हुई मारपीट की घटना के बाद छात्र प्रो. शर्मा के समर्थन में उतर आए।
बुधवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नेतृत्व में छात्रों ने चीफ प्रॉक्टर को ज्ञापन सौंपा और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कुमार पराग को निलंबित करने की मांग की। छात्रों ने कहा कि इस घटना ने विश्वविद्यालय की गरिमा को ठेस पहुंचाई है और दोषी के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
विभागाध्यक्ष के समर्थन में छात्रों का ज्ञापन
छात्रों ने ज्ञापन में लिखा कि प्रो. सुशील कुमार शर्मा पिछले 35 वर्षों से इविवि में अध्यापन कर रहे हैं और उनके खिलाफ पूर्व में कभी कोई शिकायत नहीं आई है। वहीं, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कुमार पराग पर पूर्व में भी अनुचित व्यवहार के आरोप लग चुके हैं।
छात्रों ने आरोप लगाया कि डॉ. कुमार पराग ने कई बार कक्षा में अनुचित व्यवहार किया और विद्यार्थियों को उकसाकर अन्य शिक्षकों के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां करवाईं। छात्रों ने इस मामले को विश्वविद्यालय की गरिमा के खिलाफ बताया और एसोसिएट प्रोफेसर को उनके पद से हटाने की मांग की।
चीफ प्रॉक्टर ने छात्रों की मांग को गंभीरता से लेते हुए ज्ञापन कुलपति को अग्रसारित कर दिया है।
जांच कमेटी के गठन का इंतजार
घटना की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक कमेटी के गठन की घोषणा की है। हालांकि, यह कमेटी कब गठित होगी और किस समय तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, इस पर अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।
बंद कमरे में हुई इस मारपीट की घटना में क्या कोई तीसरा व्यक्ति मौजूद था या नहीं, यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है। हालांकि, दोनों पक्षों की शिकायत के आधार पर यह स्पष्ट हो गया है कि विवाद विभागीय कार्यों को लेकर हुई बहस से शुरू हुआ और बाद में मारपीट में बदल गया।
छात्रों की मांग – अनुशासनात्मक कार्रवाई हो
छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि मामले में निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। छात्रों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं विश्वविद्यालय की गरिमा को नुकसान पहुंचाती हैं और शिक्षण माहौल को प्रभावित करती हैं।
अब सभी की नजरें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई हैं। जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाएगा।
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