धर्म ही ज्ञान है और कर्म ही विज्ञान: डॉ. गुलाब कोठारी

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत पालि प्राकृत एवं प्राच्यभाषा विभाग की ओर से तिलक भवन में गुरुवार को विशिष्ट व्याख्यान हुआ। इसमें भगवद्गीता के वैज्ञानिक आयाय विषय पर चर्चा की गई। विभाग के शोध छात्र अमृत प्रकाश दुबे ने वैदिक मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। आयुषी सरोज ने लौकिक मंगलाचरण किया। शोध छात्रा कोमल मिश्रा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। वरिष्ठ पत्रकार व प्रसिद्ध लेखक डॉ. गुलाब कोठारी ने कहा कि गीता को सर्वदा इस भाव से पढ़ना चाहिए कि मानो भगवान श्रीकृष्ण हमसे कह रहे हैं। इस प्रकार हमें अर्जुन बनना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि गीता सृष्टि का विज्ञान है। जो सभी प्राणियों पर एक नियम लागू करती है। धर्म ही ज्ञान है और कर्म ही विज्ञान है। जगद्गगुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राम सेवक दुबे ने कहा कि ऐसे व्याख्यानों से विश्वविद्यालय व विभाग की कीर्ति चतुर्दिक प्रसस्त होती है। संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र ने स्वागत किया। इस अवसर पर प्रो. अनिल प्रताप गिरि, प्रो. निरुपमा त्रिपाठी, प्रो. राकेश सिंह, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. ललित कुमार, डॉ. तेज प्रकाश चतुर्वेदी, डॉ. आशीष त्रिपाठी, डॉ. कल्पना कुमारी, डॉ. प्रतिभा आर्या आदि मौजूद रहीं। 




इलाहाबाद विश्वविद्यालय में विशिष्ट व्याख्यान – मुख्य बिंदु


1. आयोजन स्थल: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत, पालि, प्राकृत एवं प्राच्यभाषा विभाग द्वारा तिलक भवन में व्याख्यान आयोजित।


2. विषय: "भगवद्गीता के वैज्ञानिक आयाम" पर चर्चा।


3. कार्यक्रम की शुरुआत:


शोध छात्र अमृत प्रकाश दुबे ने वैदिक मंगलाचरण किया।


आयुषी सरोज ने लौकिक मंगलाचरण प्रस्तुत किया।


कोमल मिश्रा ने सरस्वती वंदना गाई।


4. मुख्य वक्ता:


वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध लेखक डॉ. गुलाब कोठारी ने कहा कि भगवद्गीता को इस भाव से पढ़ना चाहिए जैसे भगवान श्रीकृष्ण हमसे कह रहे हों।


गीता सृष्टि का विज्ञान है, जो सभी प्राणियों पर समान नियम लागू करती है।


धर्म ही ज्ञान है और कर्म ही विज्ञान।


5. विशेष अतिथि: जगद्गगुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राम सेवक दुबे, जिन्होंने कहा कि ऐसे व्याख्यान विश्वविद्यालय और विभाग की कीर्ति बढ़ाते हैं।


6. संस्कृत विभाग अध्यक्ष: प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया।


7. उल्लेखनीय उपस्थिति:


प्रो. अनिल प्रताप गिरि, प्रो. निरुपमा त्रिपाठी, प्रो. राकेश सिंह


डॉ. विनोद कुमार, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. ललित कुमार


डॉ. तेज प्रकाश चतुर्वेदी, डॉ. आशीष त्रिपाठी, डॉ. कल्पना कुमा

री, डॉ. प्रतिभा आर्या आदि मौजूद रहे।

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