इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने किया महाकुंभ कलाग्राम का आर्थिक सर्वेक्षण
अर्थशास्त्र विभाग के निर्देशन में बी.ए. तृतीय वर्ष के छात्रों ने की अध्ययनात्मक पहल
प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के मार्गदर्शन में बी.ए. तृतीय वर्ष (सेक्शन Y - A+Z) के छात्रों ने महाकुंभ कलाग्राम में हस्तनिर्मित (Handcrafted) वस्तुओं का गहन सर्वेक्षण किया। इस अध्ययन का उद्देश्य महाकुंभ में पारंपरिक शिल्प और कारीगरों की आर्थिक स्थिति को समझना तथा स्थानीय उत्पादों की मांग और उनकी विपणन रणनीति का विश्लेषण करना था।
स्थानीय हस्तनिर्मित वस्तुओं का हुआ गहन अध्ययन
सर्वेक्षण के दौरान छात्रों ने विभिन्न प्रकार की हस्तनिर्मित वस्तुओं का अवलोकन किया, जिनमें शामिल थे –
- लकड़ी पर नक्काशी (Wood Carving)
- मिट्टी और टेराकोटा के उत्पाद
- हस्तनिर्मित आभूषण एवं पारंपरिक वस्त्र
- कढ़ाई एवं हथकरघा उत्पाद
- धातु और बांस के हस्तशिल्प
छात्रों ने कारीगरों से बातचीत कर उनके उत्पादन लागत, बिक्री, मुनाफे, विपणन रणनीतियों और उन्हें मिलने वाली सरकारी सहायता के बारे में जानकारी एकत्र की।
कारीगरों की आर्थिक स्थिति पर विशेष ध्यान
सर्वेक्षण का एक महत्वपूर्ण पहलू यह था कि कारीगरों की आर्थिक स्थिति और चुनौतियों को समझा जाए। कई कारीगरों ने बताया कि वे पारंपरिक कला को जीवित रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। छात्रों ने उनके व्यापार में आने वाली बाधाओं जैसे – कच्चे माल की बढ़ती कीमतें, ऑनलाइन बाजार में प्रतिस्पर्धा, और ग्राहकों की बदलती रुचियां आदि पर भी अध्ययन किया।
महाकुंभ कलाग्राम में व्यापार और संभावनाओं का विश्लेषण
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है, जिससे स्थानीय शिल्पकारों को अपने उत्पादों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने का अवसर मिलता है। छात्रों ने यह भी विश्लेषण किया कि किस प्रकार कारीगर अपने उत्पादों को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकते हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर अपनी बिक्री बढ़ा सकते हैं।
शोध के निष्कर्ष और संभावित समाधान
सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर छात्रों ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिनमें शामिल हैं –
- ऑनलाइन मार्केटिंग एवं ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर विस्तार
- सरकारी योजनाओं की जानकारी एवं उनके सही क्रियान्वयन की आवश्यकता
- स्थानीय कला और शिल्प को महाकुंभ जैसे आयोजनों में और अधिक बढ़ावा देना
- उत्पादों की ब्रांडिंग और पैकेजिंग में सुधार कर मूल्य संवर्धन
अर्थशास्त्र विभाग और छात्रों की अनूठी पहल
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग ने इस सर्वेक्षण को शिक्षा और व्यावहारिक ज्ञान को जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। विभागाध्यक्ष ने कहा कि ऐसे अध्ययन न केवल छात्रों को वास्तविक आर्थिक परिदृश्य से परिचित कराते हैं, बल्कि स्थानीय कारीगरों की समस्याओं को समझकर उनके समाधान खोजने में भी सहायक होते हैं।
छात्रों का अनुभव और भविष्य की संभावनाएं
इस सर्वेक्षण में भाग लेने वाले छात्रों ने इसे एक महत्वपूर्ण अनुभव बताया। उनका मानना था कि इससे उन्हें माइक्रो-इकॉनॉमिक्स, मार्केट एनालिसिस और फील्ड रिसर्च के व्यावहारिक पहलुओं को समझने में सहायता मिली।
इस अध्ययन से प्राप्त जानकारियों को एक अर्थशास्त्रीय रिपोर्ट के रूप में संकलित कर विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपा जाएगा, ताकि स्थानीय कारीगरों और उनके उत्पादों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए बेहतर नीतियां बनाई जा सकें।
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