इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कश्मीर शैव-दर्शन पर राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कश्मीर शैव-दर्शन पर राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन

सृष्टि विज्ञान और लोक परंपरा पर हुई गहन चर्चा

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन रविवार को हुआ। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य कश्मीर शैव-दर्शन के सृष्टि विज्ञान और लोक परंपरा के विभिन्न आयामों पर विचार-विमर्श करना था।

देशभर से विद्वानों ने प्रस्तुत किए शोध पत्र

कार्यशाला में देशभर से प्रतिष्ठित विद्वानों, शोधार्थियों और विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया। कुल आठ सत्र आयोजित किए गए, जिनमें कश्मीर शैव-दर्शन के ऐतिहासिक, दार्शनिक, सांस्कृतिक, और साहित्यिक पहलुओं पर शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।

अध्यक्षता और प्रमुख उपस्थिति

कार्यशाला की अध्यक्षता प्रो. रमाकांत पांडेय और डॉ. मीनाक्षी जोशी ने की। इस अवसर पर प्रो. अनामिका रॉय, प्रो. राकेश सिंह, प्रो. कमलेश झा, डॉ. सुषमा जतू, डॉ. सर्वेश त्रिपाठी, डॉ. अग्निशेखर, शैलेन्द्र खेड़े, और डॉ. अतुल नारायण सिंह जैसे प्रख्यात विद्वान उपस्थित रहे।

कश्मीर शैव-दर्शन के महत्व पर जोर

कार्यशाला के दौरान विद्वानों ने कश्मीर शैव-दर्शन के विभिन्न आयामों पर गहन विमर्श किया। इस दार्शनिक परंपरा को भारतीय संस्कृति की समृद्ध धरोहर के रूप में प्रस्तुत किया गया।

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