PCS-J 2022 उत्तर पुस्तिकाओं के न्यायिक मूल्यांकन का आदेश, हाई कोर्ट ने आयोग को दिए निर्देश
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग पीसीएस-जे 2022 की मेंस परीक्षा को लेकर मचे विवाद से उबर नहीं पा रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर पुस्तिकाओं में धांधली और अभ्यर्थियों के अंक कम किए जाने के मामले में याचियों की मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं सीलबंद लिफाफे में दाखिल करने के लिए आयोग से कहा है।
यह निर्देश भी दिया है कि याचिकाकर्ताओं को मिले अंक सात दिसंबर तक आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिए जाएं ताकि उन्हें अपने प्राप्तांकों की सही जानकारी हो सके। यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह व न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने श्रवण पांडेय और दर्जनों अन्य पीसीएस-जे अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट का कहना है कि उत्तर पुस्तिकाओं के न्यायिक मूल्यांकन की आवश्यकता है।
अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी। याचियों का आरोप है कि उत्तर पुस्तिकाओं में जवाब सही होने के बावजूद या तो उन्हें शून्य अंक दिए गए हैं या कम अंक दिए गए हैं। कुछ याचियों ने अंक कम करने का दावा भी किया है। यह भी कहा गया कि प्रारंभिक मूल्यांकन के बाद जानबूझकर अंक कम कर दिए गए।
कोर्ट ने आयोग के अधिवक्ता को निर्देश दिया कि याचियों की उत्तर पुस्तिकाएं सील बंद लिफाफे में अदालत में प्रस्तुत की जाएं। यूपीपीसीएस-जे 2022 मुख्य परीक्षा को सबसे पहले अभ्यर्थी श्रवण पांडेय ने हाई कोर्ट में चुनौती दी।
7 दिसंबर तक वेबसाइट पर अपलोड किया जाए।
आरोप लगाया कि उनकी उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ की गई है और अंक बदले गए हैं। शिकायत पर आयोग ने स्वत: कदम उठाते हुए उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन कराया। मूल्यांकन में 50 से अधिक कापियों के साथ छेड़छाड़ की बात सामने आई। इसके बाद अन्य अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर इसी प्रकार की शिकायत की।
इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने आयोग से जवाब तलब किया था। कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि लोक सेवा आयोग ने स्वयं ही अंतिम परिणाम में परिवर्तन करते हुए दो चयनित अभ्यर्थियों को बाहर कर दो अभ्यर्थियों को चयन सूची में शामिल करने का निर्णय लिया तथा राज्य सरकार को उसकी संस्तुति भी भेज दी।
Post a Comment