इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कश्मीरी शैव-दर्शन पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ
भारतीय दर्शन और सांस्कृतिक परंपरा पर विद्वानों ने साझा किए विचार
प्रमुख अतिथि का उद्घाटन उद्बोधन
गुरुवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग एवं प्राचीन इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में "भारतीय ज्ञान-परम्परा में कश्मीरी शैव-दर्शन" विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। रामनंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर के कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय दर्शन के गूढ़ पहलुओं और कश्मीरी शैव-दर्शन की प्रासंगिकता व सार्वभौमिकता पर प्रकाश डाला।
कश्मीरी शैव-दर्शन पर विद्वानों की गहन चर्चा
कार्यक्रम में प्रो. आनंदवर्धन ने कश्मीरी शैव-दर्शन के सृष्टि विज्ञान और इसके दार्शनिक-सांस्कृतिक आयामों पर गहन चर्चा की। उन्होंने इस विषय पर नए शोध की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता और अनुभव साझा
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. ललित कुमार त्रिपाठी ने की। प्रो. हर्ष कुमार और प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र ने अपने अनुभव साझा किए, जिससे प्रतिभागियों को कश्मीरी शैव-दर्शन के विविध पहलुओं को समझने में मदद मिली।
अन्य विद्वानों की उपस्थिति
इस अवसर पर प्रो. अनिल प्रताप गिरी, प्रो. जटाशंकर तिवारी, डॉ. सुरेश त्रिपाठी, डॉ. ज्ञानेन्द्र राय, प्रो. राकेश सिंह, प्रो. ऋषिकांत पांडेय, प्रो. अनुपम पांडेय, प्रो. एआर सिदीकी, प्रो. संजय श्रीवास्तव और डॉ. अविनाश श्रीवास्तव सहित कई विद्वान उपस्थित रहे।
कार्यशाला का उद्देश्य
यह कार्यशाला भारतीय ज्ञान-परंपरा और कश्मीरी शैव-दर्शन की आधुनिक संदर्भों में प्रासंगिकता को समझने और इस क्षेत्र में नए शोध को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित की गई है।
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